Saturday, October 16, 2010

Someone Please...


Trapped in this little lonely world,
seeking a view of beautiful flying birds
how it feels, can't tell.
Someone please...
go and get a wedding bell.

They say, life is dramatic
but alone here, it feels so traumatic.
Although I got many pals
But, the one I dream of,
Someone please...
tell, who's that gal.

As I peep out of this cage, here and there
it's girls and girls everywhere.
Will someone please...
tell me the formula,
to get a girl anytime, anywhere.

Finally, I got me a girl
my darling, seems lovable, caring
looks like a friend forever
a partner you could find nowhere.

BUT...

Someone please...
tell me, how can I marry a girl,
whose heart is already engaged somewhere.

Feels again trapped in this little cage here.
Someone please...
tell me, how to get out of here.
Far, very far...somewhere...

Someone please...

पिया रे...


याद तेरी आई, फिर पिया रे...
ना जाने घुट रहा है, क्यों यह जिया रे...
दूर हो के भी, तू मुझसे दूर तो नहीं,
ना जाने क्यों जल रहा है फिर,
यह जिया, पिया रे...

तू एक बार फिर, पास आई, पिया रे...
तेरी नज़रों ने है छु कर, वो असर किया रे...
पल में ही सारे पलछिन समेत कर,
तुझमे समां जाना चाहता है,
यह जिया, पिया रे...

इस कदर तुझसे प्यार करता हूँ, पिया रे...
एक लम्हा भी तुझे भुला ना पाया है, यह जिया रे...
तू जिस रूप में भी साथ हो, मंजूर है,
बस साथ पाने को तरप रहा है,
यह जिया, पिया रे...

समझ के भी, ना समझा कभी तुने, पिया रे...
दूर हो गयी, तुम मुझसे, ना जाने, मैंने ऐसा क्या किया रे...
अब एक अनजान सी बेरुखी हैं, तेरी मुजशे,
उस बेरुखी को महसूस कर, जलता है,
यह जिया, पिया रे...

पर करता हूँ तुमसे प्यार बहुत,
सो, ना आना कभी लौट के वापस, पिया रे...
जल जायेगा जिंदा ही, यह जिया, पिया रे...
ना जाने क्या चाहता हूँ, अब मैं, पिया रे...
पिया रे...पिया रे...मोरे पिया रे...

Saturday, October 9, 2010

कसक


जागि है इस दिल में एक कसक आज,
जाने, किस वजह से,
जाने, किस तरह से।

यूँ ही बैठा, मैं अपने ख्यालों में,
घिरा हुआ, कुछ अनजाने से सवालों में।
खुद से पूछता हूँ यहीं,
की यह क्या हैं???

ये तेरी उन मीठी - मीठी बात्तों की कशिश है,
या तेरी उन तीखी जेहरीली यादों की कशिश है।
यह तेरी, फूल सी खिलखिलाती हंसी की कशिश हैं,
या तेरी उन हिरनी सी आँखों की कशिश है।
दिल को, हर वक़्त यह लगता है,
की यह तेरी कशिश में ही डूब जाने की, एक कसक हैं।

जागी इस दिल में आज फिर एक ऐसी कसक हैं...

यह तेरे उन घने काले केशुओं के,
अंधेरो में खो जाने की कसक हैं।
या तेरे चाँद से ख़ूबसूरत चेहरे की, चमक में
एक नए सवेरे की तरफ जाने की एक कसक है।
लगता हैं मुशको, की शायद
यह तेरे इंतज़ार में, पल - पल बीततें, लम्हों की कसक है।

जागी इस दिल में आज फिर एक ऐसी कसक हैं...

यह तेरे उन कोमल हाथों को, छु लेने की कसक हैं।
या तेरे उन प्यारी बाँहों में सिमट कर, दुनिया भुला देने की कसक हैं।
दिल हम अपना हारे बैठे हैं,
बस अब एक तुझ बेवफा को, पाने की एक कसक है।

जागी इस दिल में आज फिर एक ऐसी कसक हैं...

तेरे दिलो - दरमियाँ उठते, हर सवालों का
हल दूंढ़ लेन की, एक कसक हैं।
हाँ, तुझे अपना, सिर्फ अपना,
बना लेने की एक कसक हैं।

जागी इस दिल में आज फिर एक ऐसी कसक हैं...